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मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) की विधि


मैं आपको इस ब्लॉग में मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) की प्रक्रिया हिंदी में चरणबद्ध तरीके से बताऊंगा। यह जानकारी आपके ब्लॉग www.okanswers.com के लिए उपयुक्त होगी। भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार के मशरूम की खेती की जाती है: बटन मशरूम (Button Mushroom), ऑयस्टर मशरूम (Oyster Mushroom), और पैडी स्ट्रॉ मशरूम (Paddy Straw Mushroom)। मैं मुख्य रूप से बटन मशरूम की खेती की विधि पर ध्यान दूंगा, क्योंकि यह भारत में सबसे लोकप्रिय है। साथ ही, मैं अन्य प्रकार के मशरूम के लिए कुछ बुनियादी जानकारी भी शामिल करूंगा।




मशरूम की खेती की विधि 

1. मशरूम की खेती के लिए आवश्यकताएँ

  • स्थान: मशरूम की खेती के लिए स्वच्छ, हवादार, और नमी युक्त स्थान चाहिए। कमरा 20-28 डिग्री सेल्सियस (वनस्पति वृद्धि के लिए) और 12-18 डिग्री सेल्सियस (फलन के लिए) तापमान पर होना चाहिए। 80-90% नमी आवश्यक है।
  • सामग्री: अच्छी गुणवत्ता का स्पॉन (मशरूम का बीज), कम्पोस्ट, भूसा, यूरिया, जिप्सम, और पॉलीथीन बैग।
  • उपकरण: थर्मामीटर, हाइग्रोमीटर, और पानी छिड़कने के लिए स्प्रे बोतल।
  • बाजार निकटता: मशरूम की खेती का स्थान घर के पास होना चाहिए ताकि निगरानी आसान हो।

2. स्पॉन (मशरूम का बीज) तैयार करना

  • स्पॉन मशरूम की खेती का आधार है। इसे विश्वसनीय प्रयोगशालाओं या संस्थानों (जैसे IIHR, बेंगलुरु) से खरीदें।
  • अच्छे स्पॉन में तेजी से वृद्धि, सफेद रंग, और कोई दुर्गंध नहीं होनी चाहिए।
  • बटन मशरूम के लिए Agaricus bisporus प्रजाति का उपयोग होता है। लोकप्रिय स्ट्रेन: Ooty 1, Ooty (BM) 2, S-11, TM-79, और Horst H3।

3. कम्पोस्ट तैयार करना

  • लंबी विधि (Long Method): इसमें गेहूं का भूसा, गोबर, यूरिया, और जिप्सम का उपयोग होता है। इसे 20-25 दिनों तक ढेर में रखकर समय-समय पर पलटा जाता है।
  • छोटी विधि (Short Method): यह 12-15 दिनों में कम्पोस्ट तैयार करती है, लेकिन इसमें अधिक पूंजी और मशीनरी की जरूरत होती है।
  • कम्पोस्ट तैयार होने के बाद इसे 60 डिग्री सेल्सियस पर पाश्चुरीकरण करें ताकि हानिकारक बैक्टीरिया और कीट नष्ट हो जाएं।

4. स्पॉनिंग (बीज बोना)

  • तैयार कम्पोस्ट को ठंडा होने दें (25 डिग्री सेल्सियस)।
  • कम्पोस्ट को पॉलीथीन बैग में भरें और उसमें स्पॉन की परतें डालें। प्रति 100 किलो कम्पोस्ट में 750-1000 ग्राम स्पॉन डालें।
  • बैग को अंधेरे और नम कमरे में 15-20 दिनों तक रखें, जहां तापमान 20-28 डिग्री सेल्सियस हो।

5. केसिंग (मिट्टी की परत)

  • 15-20 दिनों बाद, जब कम्पोस्ट में सफेद मायसेलियम (जड़ें) फैल जाएं, तो उस पर 3-4 सेमी मोटी मिट्टी की परत (केसिंग) डालें।
  • केसिंग के लिए मिट्टी और रेत (4:1) का मिश्रण उपयोग करें। इसे पाश्चुरीकृत करें।
  • नमी बनाए रखने के लिए हल्का पानी छिड़कें।

6. फलन और कटाई

  • केसिंग के 15-20 दिनों बाद मशरूम की पिनहेड्स (छोटे मशरूम) दिखाई देने लगते हैं।
  • तापमान को 12-18 डिग्री सेल्सियस और नमी 80-90% रखें।
  • मशरूम को तब काटें जब उनकी टोपी पूरी तरह खुलने से पहले 3-5 सेमी व्यास की हो।

7. पैकेजिंग और विपणन

  • मशरूम को साफ कपड़े से पोंछकर पॉलीथीन बैग में पैक करें।
  • भारत में बटन मशरूम की कीमत 50-100 रुपये प्रति किलो होती है, जो बाजार की मांग पर निर्भर करता है।
  • होटल, रेस्तरां, और मेट्रो शहरों में मशरूम की मांग अधिक है।

8. अन्य मशरूम की खेती

  • ऑयस्टर मशरूम: इसे भूसे पर आसानी से उगाया जा सकता है। तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस और नमी 85-95% चाहिए। यह कम लागत में उगता है।
  • पैडी स्ट्रॉ मशरूम: गर्म और आर्द्र जलवायु (30-35 डिग्री सेल्सियस) में उगता है। इसे भूसे के बेड पर उगाया जाता है।

9. सरकारी सहायता

  • भारत सरकार मशरूम की खेती को बढ़ावा देती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय, और APEDA जैसी योजनाओं के तहत सब्सिडी उपलब्ध है।

10. सावधानियाँ

  • खेती के स्थान को साफ और कीट-मुक्त रखें।
  • कम्पोस्ट और स्पॉन की गुणवत्ता की जाँच करें।
  • औद्योगिक प्रदूषण से दूर स्थान चुनें।

 



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